flipkart search

flipkart

Saturday, March 21, 2015

नवसम्वत्सर 2072

नवसम्वत्सर 2072 में पूर्व विक्रम सम्वत 2071 में राजा रहे चंद्रमा के पास इस बार तीन पद रहेंगे जो जल संसाधन से संबंधित नीतियों में सुधार के कारक बनेंगे। इस बार संयोग से ग्रह मंत्रालय, वन एवं पर्यावरण के साथ-साथ जल संसाधन मंत्री भी चंद्रमा ही होंगे। इसलिए नए सम्वत में सरकार की जल नीतियों में आमूलचूल परिवर्तन होगा। वहीं, जल भण्डारण एवं जल स्त्रोतों का पुनर्रोद्धार होगा।

नवसम्वत्सर 2072 चैत्र कृष्ण अमावस्या 20 मार्च को अपराह्न 3.07 बजे कर्क लगन में शुरू होगा। वैसे चांद्र सम्वत्सर की शुरूआत 21 मार्च को नवरात्र स्थापना के साथ होगी। इस सम्वत के राजा शनि व मंत्री मंगल होंगे। नवसम्वत्सर अधिक मास होने से इस बार 13 माह का होगा। इस सम्वत में दो आषाढ़ रहेंगे। कर्क लग्न के कारक ग्रह मंगल हैं और संयोग से वह मंत्री भी होंगे। ज्योतिषाचार्य पं. चंद्रमोहन दाधीच ने बताया कि कर्क लग्न में भाग्य स्थान में चतुग्रही योग से नवसम्वत्सर व्यापारिक उन्नति के साथ-साथ जनता में खुशहाली देने वाला भी होगा। 

यह सम्वत प्रदेश के लिए सुख-समृद्धि की सौगात लेकर आएगा। समयानुकूल श्रेष्ठ बारिश के योग से फल, सब्जी व अनाज का अच्छा उत्पादन होगा। पर्यटन व प्रोपर्टी व्यवसाय बढ़ेगा, साथ ही विदेशी कंपनियों के निवेश से लोगों को रोजगार उपलब्ध हो सकेगा। सरकार की शिक्षा नीतियों में आमूलचूल परिवर्तन से रोजगारोन्मुख शिक्षा के प्रति छात्रों का रूझान बढ़ेगा। कर्क लग्न में ही चंद्र व गुरू का राशि परिवर्तन योग देश की उन्नति के साथ-साथ प्रदेश में भी शिक्षा के प्रचार-प्रसार में सहयोग करेगा। वहीं, धार्मिक उन्माद पर अंकुश लगेगा और सात्विक प्रवृत्तियों को बढ़ावा मिलेगा। 

किलक नाम से होगा नवसम्वत्सर

वर्ष का नाम किलक होने से यह सम्वत प्रजा के साथ-साथ शासकों में भी विरोध वाला रहेगा। राजनेताओं में प्रतिस्पर्द्धा का वातावरण बनेगा। वर्षा की श्रेष्ठता से धान्य आदि की पैदावार बढ़ेगी, जिससे लोगों में सुख-समृद्धि का विस्तार होगा। अधिक मास आषाढ़ होने से वर्षा समयानुकूल होने पर भी खण्डवृष्टि का योग बन रहा है। अधिक मास 17 जून से 16 जुलाई तक रहेगा। इन तीस दिनों के दौरान सभी शुभ कार्य वर्जित रहेंगे। इस दौरान कथा व दान-पुण्य का विशेष महत्व रहेगा। 

अच्छा होगा उत्पादन

ज्योतिर्विद डॉ. महेन्द्र मिश्रा ने बताया कि इस बार रोहिणी का वास समुद्र में होने से अच्छी वर्षा के संकेत हैं। समय का वास माली के घर होने से धान्य, घास, फल, फूल व सब्जियों का उत्पादन बढ़ेगा। साथ ही कीमतों पर अंकुश लगेगा। वाहन महिष बना होने से व्यापारिक गतिविधियों में तेजी आएगी व सरकार व्यापारियों को प्रोत्साहित करेगी। चार स्तम्भों में अन्न स्तम्भ 32 प्रतिशत है, इसलिए अन्न की प्रचुरता रहेगी। वहीं वायु स्तम्भ शून्य प्रतिशत होने से तेज गति से वायु चलने का अभाव रहेगा। इस बार आर्द्रा प्रवेश लग्न वृश्चिक होने से वायु प्रदूषण के साथ गर्मी का जोर रहेगा। राजस्थान, पंजाब, हरियाणा जैसे राज्यों में ओलावृष्टि के साथ-साथ अच्छी बारिश होगी।

यह होगा आकाशीय मंत्रिमंडल

ज्योतिर्विद शशि प्रकाश शर्मा ने बताया कि नवसम्वत्सर के आकाशीय मंत्रिमंडल में राजा शनि होंगे, वहीं मंगल को मंत्री पद मिला है। शेष अन्य ग्रहों की स्थिति कुछ इस प्रकार रहेगी।

राजा (संरक्षक) - शनि
मंत्री (प्रधानमंत्री) - मंगल
अग्रधान्य अधिपो (खाद्य मंत्री) - गुरू
पश्चाद्ध अन्याधिपो (कृषि मंत्री) - बुध
मेघेश (जल संसाधन मंत्री) - चंद्रमा
रसेश (डेयरी एवं पशुपालन मंत्री) - शनि
नीरशेष (खनिज मंत्री) - गुरू
फलेश (वन व पर्यावरण मंत्री) - चंद्रमा
धनेश (वित्त मंत्री) - गुरू
दुर्गेश (गृहमंत्री) - चंद्रमा

श्रीः
श्रीर्वर्चस्वमायुष्यमारोग्य_माभिधाच्छोभमानं महीयते ।
धान्यं धनं पशुं बहु पुत्रलाभम् शतसम्वतसरं दीर्घमायुः ।।
हमारा नव वर्ष,नव जीवन व नवचेतना का त्योहार
राष्ट्र की गोरवशाली परम्परा धोतक विक्रम संवत 
विश्व का प्राचीनतम् संवत्सर 
मंगलमय हो नव वर्ष का प्रतिपल मंगलमय हो
नयी कामना नयी भावना नयी चेतना मय हो
धर्म की घर घर जले मशाल, जय गोविंन्दम जय गोपाल ।

नवीन वर्ष का त्योहार संसार के प्राचीनतम उत्सवो मे से एक है आमतौर पर वसंत ऋतु के आगमन और चैत्र नवरात्रि मा भगवती की आराधना नव वर्ष का प्रारंभ माना जाता है,
क्योकी वसंत नव अंकुरण का समय है,जव प्रकृति का कोना कोना फलो फुलो से भर जाता है,जिस तारीख को दिन और रात की अपनी बराबर होती है,इस पवित्र दिन सुर्य अपना प्रकाश समान रूप से पूरी धरती पर फैलाना है
इस दिन सत्य का सुर्य सनातन धर्म के क्षितिज पर उगता है,और अपनी किरणे चारो और बिखेरता है।
ऋतु परिवर्तन को संवतसर कहते है,भारतीय जनता के आ ये दिन के व्यवहार में विकोमल संवत ही लोकप्रिय वना हुआ है ,यह ईस्वी सन''BC या ग्रेगेरियन केलेंडर से 57 वर्ष पुराना है ।
हमारे सभी पर्व और त्योहार विक्रम संमत के आधार पर ही मनाये जाते है, जन्म पत्रिया भी इसी के आधार पर बनायी जाती है।
卐ॐ卐
विश्व के सब से प्राचिन और महान धर्म तथा संस्कृति हिंदू धर्म व संस्कृति की एक अमुल्य नीली है विक्रम संमत जो अनेक परम्पराओ व स्मृतियो की लडियो में जुड़ा हुआ है।प्राचिन काल से लेकर आज तक इस भारत भूमी पर जीतने भी महान कार्य प्रारंभ हुए वे सब आज ही के दिन हुए है।यह विश्व का पहला संवत्सर हैं तथा पुरी पृथ्वी का संवत्सर है,जो भारतीय संस्कृति से जुड़ा है,जो हमे हमारे पुराने स्वर्णिम काल से जोड़ देता है,
इस की श्रेष्ठता व से आध्यामता की अलोकीकता खील उठती है ,जो सब देशो और धर्मो को एक सुत्र में माला बना सकती है। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को नव वर्ष एकम कहते है
महाराष्ट्र मे इसे गुडीपाडवा कहते है और आंध्र मे उगादी ( युगादि ) तेलगु नव वर्ष कहते है ।चारो युगों के प्रारंभ तिथि होने के कारण इसे युगादि कहते है।।इस वर्ष 21 मार्च 2015 शनिवार को सुर्योदय के समय से नव वर्ष विक्रम संवत 2072 का प्रारंभ होगा 2015-16 वसंत में आनेवाले मन में आशा व सृजनशीलता का संचार करते है।सृष्टि को हरितिमा व सुंदर सुगंध प्रदान करते है।।हम भगवान की आराधना करते हैं की हमारा नव वर्ष शुभ और आनंदमय् हो।।जय श्री कृष्णा
ब्रह्माजी द्वारा सृष्टि की रचना चैत्र मासि जगत्- ब्रह्मा स्तसृजं प्रथमे डःहनि  ब्रह्मपुराण यथा चैत्रमास के प्रथम दिन ब्रह्म्जी ने श्रष्टि की रचना की।संवतसरो का पहला दिन ।यह विश्व का प्राचिनतम व पहला संवत्सर है।
इस दिन प्रारंभ होती है नवरात्रो का महापर्व,घटस्थापना दिवस ।।प्रभु श्री रामचंद्रजी व सम्राट युधिष्टर का राज्याभिषेक दिवस।महाराजा विक्रमादित्य द्वारा विक्रम संवत का शुभारंभ । सरकार व आयकर विभाग का वित्तिय वर्ष इसी पर आधारित हैं ।इस दिन सम्पूर्ण पृथ्वी पर जलवायु सम रहती है।और सत्य का सूर्य सनातन धर्म के क्षितिज पर उगता है,और अपनी किरणें चतुर्दिक बिखेरता है
(श्रीराम)

No comments:

Post a Comment